ग्राम रोजगार सहायकों ने मुख्यमंत्री के नाम रीवा कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
रीवा कलेक्टर के रीवा से बाहर होने के कारण एसडीएम फरहीन खान को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपा गया
जिले के सभी ग्राम रोजगार सहायकों के ज्ञापन सौंपने का विषय E L O सर्वे एवं वार्षिक अनुबंध ना करने एवं 06/ 02/20 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में संविदा कर्मचारियों के खिलाफ दिए गए बयान के विरोध के संबंध में
सभी ग्राम रोजगार सहायकों से आए दिन किसी न किसी सर्वे में और अन्य योजनाओं के कामों में लगाया जाता है जिससे मूल काम प्रभावित हो रहे हैं तथा मूल कामों में अवरोध होने पर शासन के द्वारा सेवा समाप्त की जाती है ग्राम रोजगार सहायकों के लगातार निवेदन के बाद भी ग्राम रोजगार सहायकों के हित में अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया गया है जिसमें पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल के द्वारा की गई घोषणा (23 अक्टूबर को रोजगार सहायकों के सम्मेलन भोपाल में की थी) भी शामिल है यह सब देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रशासन कुछ नहीं करना चाहता है और मुफ्त में सभी से काम करवाना चाहता है सभी ग्राम रोजगार सहायकों की लंबे समय से वेतन वृद्धि नहीं की गई है एवं जनपदों में भ्रष्टाचार फैलाने के लिए अनुबंध की तैयारी की जा रही है जो कि पिछले 7 वर्षों से नहीं हुआ है और 06/02/20 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में संविदा कर्मचारियों के खिलाफ दिए गए बयान से सभी जिलों में शोषण करने की अनुमति दी जो कि मुख्यमंत्री जी के मनसा के विरुद्ध हैजहां कांग्रेस पार्टी के द्वारा संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वचन दिया गया है और सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा भी निर्देश जारी किए गए हैं कि किसी को भी सेवा से बाहर नहीं रखा जाएगा उसके बाद भी हर समय सेवा समाप्त करने के लिए धमकाया जाता है जो कि न्याय संगत नहीं है प्रशासन को ग्राम रोजगार सहायकों से मूल काम के अलावा अन्य काम ना लिया जाए अगर काम लिया जाता है तो उनको उस अतिरिक्त काम के लिए अतिरिक्त पैसा दिया जाए क्योंकि पंचायत का पूरा कार्य तो ग्राम रोजगार सहायक ही करते हैं ग्राम पंचायत सचिव तो पूरी तरह से आजाद रहते हैं केवल वित्तीय प्रभार का काम करते हैं उसमें भी भ्रष्टाचार फैला हुआ है सूत्रों से पता चला है कि बहुत से ऐसे भी ग्राम सचिव हैं जिनको आज के समय में भी कंप्यूटर का ज्ञान बिल्कुल नहीं है पंचायतों का पूरा कार्यभार ग्राम रोजगार सहायकों के ऊपर निर्भर रहता है अगर ग्राम रोजगार सहायक ना हो तो ग्राम पंचायतों के कार्य अवरुद्ध हो जाएंगे ग्राम पंचायतों में सचिवों से ज्यादा ग्राम रोजगार सहायकों की जरूरत है क्योंकि सचिवों के ना होने से ग्रामग्राम पंचायत के कार्य में कोई फर्क नहीं पड़ता है अगर वित्तीय प्रभार रोजगार सहायक के पास हो तो लेकिन ग्राम रोजगार सहायक के ना होने से पंचायतों का कार्य बाधित हो जाता है अतः प्रशासन को उनकी मांगों पर ध्यान देना चाहिए और इनकी मांगों को पूरा करना चाहिए प्रशासन को ग्राम रोजगार सहायकों की वेतन वृद्धि पर भी ध्यान देना चाहिए और पंचायत का कुछ कार्य ग्राम पंचायत के सचिवों के पास होना चाहिए जहां पर सचिव नहीं है वहां का वित्तीय प्रभार ग्राम रोजगार सहायकों को देना चाहिए
सभी ग्राम रोजगार सहायकों के ज्ञापन सौंपने का विषय E L O सर्वे एवं वार्षिक अनुबंध ना करने एवं 06/ 02/20 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में संविदा कर्मचारियों के खिलाफ दिए गए बयान के विरोध संबंध में
सभी ग्राम रोजगार सहायकों से आए दिन किसी न किसी सर्वे में और अन्य योजनाओं के कामों में लगाया जाता है जिससे मूल काम प्रभावित हो रहे हैं तथा मूल कामों में अवरोध होने पर शासन के द्वारा सेवा समाप्त की जाती है ग्राम रोजगार सहायकों के लगातार निवेदन के बाद भी ग्राम रोजगार सहायकों के हित में अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया गया है जिसमें पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल के द्वारा की गई घोषणा (23 अक्टूबर को रोजगार सहायकों के सम्मेलन भोपाल में की थी) भी शामिल है यह सब देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रशासन कुछ नहीं करना चाहता है और मुफ्त में सभी से काम करवाना चाहता है सभी ग्राम रोजगार सहायकों की लंबे समय से वेतन वृद्धि नहीं की गई है एवं जनपदों में भ्रष्टाचार फैलाने के लिए अनुबंध की तैयारी की जा रही है जो कि पिछले 7 वर्षों से नहीं हुआ है और 06/02/20 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में संविदा कर्मचारियों के खिलाफ दिए गए बयान से सभी जिलों में शोषण करने की अनुमति दी जो कि मुख्यमंत्री जी के मनसा के विरुद्ध हैजहां कांग्रेस पार्टी के द्वारा संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वचन दिया गया है और सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा भी निर्देश जारी किए गए हैं कि किसी को भी सेवा से बाहर नहीं रखा जाएगा उसके बाद भी हर समय सेवा समाप्त करने के लिए धमकाया जाता है जो कि न्याय संगत नहीं है प्रशासन को ग्राम रोजगार सहायकों से मूल काम के अलावा अन्य काम ना लिया जाए अगर काम लिया जाता है तो उनको उस अतिरिक्त काम के लिए अतिरिक्त पैसा दिया जाए क्योंकि पंचायत का पूरा कार्य तो ग्राम रोजगार सहायक ही करते हैं ग्राम पंचायत सचिव तो पूरी तरह से आजाद रहते हैं केवल वित्तीय प्रभार का काम करते हैं उसमें भी भ्रष्टाचार फैला हुआ है सूत्रों से पता चला है कि बहुत से ऐसे भी ग्राम सचिव हैं जिनको आज के समय में भी कंप्यूटर का ज्ञान बिल्कुल नहीं है पंचायतों का पूरा कार्यभार ग्राम रोजगार सहायकों के ऊपर निर्भर रहता है अगर ग्राम रोजगार सहायक ना हो तो ग्राम पंचायतों के कार्य अवरुद्ध हो जाएंगे ग्राम पंचायतों में सचिवों से ज्यादा ग्राम रोजगार सहायकों की जरूरत है क्योंकि सचिवों के ना होने से ग्रामग्राम पंचायत के कार्य में कोई फर्क नहीं पड़ता है अगर वित्तीय प्रभार रोजगार सहायक के पास हो तो लेकिन ग्राम रोजगार सहायक के ना होने से पंचायतों का कार्य बाधित हो जाता है अतः प्रशासन को उनकी मांगों पर ध्यान देना चाहिए और इनकी मांगों को पूरा करना चाहिए प्रशासन को ग्राम रोजगार सहायकों की वेतन वृद्धि पर भी ध्यान देना चाहिए और पंचायत का कुछ कार्य ग्राम पंचायत के सचिवों के पास होना चाहिए जहां पर सचिव नहीं है वहां का वित्तीय प्रभार ग्राम रोजगार सहायकों को देना चाहिए