लेखाधिकारी पद का उन्माद,खुद को मान बैठे सरकारी दामाद

आंखों में है लेखाधिकारी पद का उन्माद।
 रामचन्द्र पांडेय बना बैठा सरकारी दामाद।।


 जनपद जिला पंचायत समेत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की कार्यवाही का नहीं है डर।
 लेखाधिकारी रामचंद्र पांडेय की शिकायत करने वाले न्याय पाने के लिए ठोकरें खा रहे दर-दर।।आरोपी 


जी हां हम बात कर रहे हैं जनपद पंचायत के लेखाधिकारी रामचंद्र पांडेय की जिसकी शिकायत बुद्धसेन द्विवेदी रविशंकर मिश्रा सचिव संघ जनपद पंचायत रीवा के कंप्यूटर ऑपरेटर एवं रोजगार सहायक समेत दर्जनों फरियादियों के द्वारा की गई और न्याय पाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।


ज्ञात हो टाइमकीपर से लेखाधिकारी में कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से पदोन्नति प्राप्त करने वाले रामचंद्र पांडेय ने जन-प्रतिनिधियों जनपद पंचायत में कार्यरत कर्मचारियों समेत कई लोगों को अपने षड्यंत्रकारी एवं तानाशाही रवैए से प्रताड़ित कर रखा है, जिससे निजात पाने हेतु लिखित शिकायत पत्रों के माध्यम से मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा, जिला कलेक्टर रीवा, संभागीय कमिश्नर रीवा, एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्रालय पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव के यहां शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें मुख्य लेख:- संबंधित कार्यों के लिए किसी और पर आश्रित रहकर वेतन के रूप में लाखों रुपए का चूना सरकार को लगाना, भृत्य पद पर पदस्थ प्रदीप शुक्ला से लेखा संबंधित कार्यों का निष्पादन कराना, टाइम कीपर से सहायक लेखा अधिकारी के पद पर मूल दस्तावेजों में हेराफेरी कर पदोन्नति प्राप्त करना, मूलतः उत्तर प्रदेश का निवासी होना, जन्म तिथि एवं अन्य विवरणों में छेड़छाड़ करना, अपने निवास प्रमाण पत्र में फेरबदल करके जनपद पंचायत रीवा में लगभग 20 वर्ष से अधिक समय पूर्व टाइमकीपर के पद पर नौकरी प्राप्त करना है जिस पर शिकायतकर्ताओं द्वारा मांग की गई है कि समस्त अभिलेखों की गहन जांच जिले के बाहर के अधिकारियों से कराया जाए। जनपद पंचायत के समस्त कर्मचारियों के विरुद्ध षड्यंत्रकारी साजिश रच कर प्रताड़ित करना,सरपंच सचिव और रोजगार सहायकों के विरुद्ध साजिश रच कर पैसे ऐंठना, आदि लिखित शिकायत पत्रों के माध्यम से शिकायत की गई है। जिस पर कार्यवाही करते हुए लोक सेवा प्रबंधन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव के द्वारा एमपी समाधान पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर कार्यवाही के निर्देश दिए जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए जिला पंचायत रीवा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने जनपद पंचायत रीवा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के माध्यम से शिकायत पर स्पष्टीकरण देने के संबंध में बिंदुवार स्पष्टीकरण अधोहस्ताक्षरी के समक्ष उपस्थित होकर लिखित रूप में देने की सूचना पत्र के माध्यम से दी। जिस पर रामचंद्र पांडेय के द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। अग्रिम कार्यवाही करते हुए पुनः कार्यालय जिला पंचायत रीवा में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत रीवा के द्वारा कारण बताओ नोटिस लेखपाल रामचंद्र पांडेय एवं नागेंद्र मिश्रा को दिनांक 07/02/2020 को दिया गया जिसमें यह स्पष्ट उल्लेख किया गया कि 3 दिवस के अंदर संबंधित अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर कारण बताएं अन्यथा आरोपियों के प्रति दोषी मानते हुए एक पक्षीय कार्यवाही की जाएगी जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी आरोपी रामचंद्र पांडेय एवं नागेंद्र मिश्रा की स्वयं की होगी। लेकिन अपने आप को मध्यप्रदेश शासन से भी ऊपर मान बैठे सरकारी दामाद रामचंद्र पांडेय व नागेंद्र मिश्रा के द्वारा कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी गई। सूत्रों से यह भी पता चला है कि वर्ष 2014 से वित्तीय प्रभार प्राप्त करने के उपरांत रामचंद्र पांडेय के द्वारा कई घोटाले किए गए और करोड़ों रुपए का चूना मध्य प्रदेश शासन को लगाया गया साथ ही जिन दस्तावेजों के आधार पर रामचंद्र पांडेय ने टाइमकीपर के पद पर नौकरी प्राप्त की थी उन दस्तावेजों को भी कार्यालय जनपद पंचायत रीवा से गायब कर दिए हैं, जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से लेकर लोक सेवा प्रबंधन विभाग के पंचायत एवं ग्रामीण विकास अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव के द्वारा लिखित रूप से सूचना देते हुए शिकायतों के आधार पर जनपद पंचायत रीवा के लेखपाल रामचंद्र पांडेय को सेवा पुस्तिका सहित मूल नस्ती अधोहस्ताक्षरी के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए थे जिससे सच्चाई का पता लगाया जा सके। लेकिन खुद को मध्यप्रदेश शासन मान बैठे भ्रष्टाचारी रामचंद्र पांडेय ने आज दिनांक तक किसी भी उच्चाधिकारी को उक्त कागजातों की मूल प्रति तो क्या छायाप्रति तक उपलब्ध नहीं कराई है। कारण पूछे जाने पर रामचंद्र पांडेय द्वारा रुआबी ढंग से कहा जाता है कि इसका जवाब देना मैं जरूरी नहीं समझता जो कुछ पूछना है तो मुख्य कार्यपालन अधिकारी से पूछो। सूत्रों से मिली जानकारी से यह भी पता चला है कि लगभग 5 वर्ष पूर्व ही रामचंद्र पांडेय को शासकीय सेवा से निवृत हो जाना था लेकिन अपने मूल दस्तावेजों में फेरबदल कर सेवा पुस्तिका सहित अन्य आवश्यक नस्तियों जिनके आधार पर रामचंद्र पांडेय  को रिटायर्ड होना है ना दिखाते हुए वह पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं का पद खाली नहीं कर हक मारते हुए रामचंद्र पांडेय मध्यप्रदेश शासन को लाखों रुपए का चूना लगा रहे हैं।


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