जानकारी के मुताबिक पायलेट प्रोजेक्ट के तहत यह स्कीम पहले पांच जिलों में चलाई जाएगी. भोपाल, इंदौर, छिंदवाड़ा, सतना और रीवा में बेहतर परिणाम आने के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा.
घायलों की जान बचाने के लिए दुर्घटना के 24 से 46 घंटे के बीच विशेष प्रयास किए जाएंगे. इसमें सरकार प्रति घायल पर 30 से 60 हजार रुपए तक खर्च करेगी. इसके लिए जिले के बड़े निजी अस्पतालों के साथ करार किया जाएगा.
रोड एक्सिडेंट इंश्योरेंस करने वाली कंपनी का चयन तीन वर्ष के लिए किया जाएगा. इसके बाद मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन दोबारा टेंडर जारी करेगा, टेंडर में न्यूनतम प्रीमियम लेने वाली कंपनी का चयन किया जाएगा. एमपीआरडीसी मुफ्त इलाज के लिए जिन अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन करेगा उसकी सूची इंश्योरेंस कंपनी को भी उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे कंपनी को घायलों के सर्वे और सत्यापन में किसी तरह की दिक्कत न हो.जिन अस्पतालों को इस स्कीम के तहत लाया जाएगा. उनके पास आधार का एक सर्वर होगा. जैसे ही किसी गंभीर घायल को अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा वैसे ही उसके थंब इंप्रेशन के माध्यम से उसका पूरा रिकार्ड का पता चल जाएगा. इसी आधार नम्बर के जरिए घायलों का अस्पताल में रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. रजिस्ट्रेशन के बाद सरकार को यह भी पता चल जाएगा कि घायल आयुष्मान भारत योजना स्कीम में है या नहीं.