अन्नदाता किसानों की मुकदमों की पैरवी निशुल्क कर सम्मानित कर किसान रत्न से विभूषित करेंगे अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता दिवस संघर्ष परिषद के अध्यक्ष राजकुमार सिंह तिवारी ने कहा है कि वह अन्नदाता पीड़ित किसान मजदूर बंधुओं के मुकदमों की पैरवी निशुल्क करेंगे एवं उन्हें सम्मानित करेंगे तथा किसान मजदूर रत्न से विभूषित करेंगे आज वैश्विक संकट की इस महा घड़ी में सारे उद्योग धंधे व्यापार व्यवसाय ठप पड़ गए हैं लोग जान बचाने हेतु घरों के अंदर घुस गए हैं विलास की सारे संसाधनों की अनुपलब्धता हो चुकी है लोगों को यह विश्वास हो गया है कि जीवित रहने हेतु पकवानों पिज्जा बर्गर आज की जरूरत नहीं है केवल सादा खाना दाल रोटी दूध ही पर्याप्त है सादा जीवन उच्च विचार ही असली जिंदगी है भोग विलास व्यर्थ है जब सब कुछ बंद हो गया है तब अनाज ही सभी का सहारा है गरीब अमीर व्यवसाई नौकरी नेता आदि सभीअनाज पर निर्भर हो गए हैं बड़े-बड़े उद्योग व्यापार आज पैसा सहित पेट नहीं भर सकते वह तो केवल अन्नदाता किसान व मजदूर द्वारा पैदा अनाज ही कर सकता है भारतवर्ष एक कृषि प्रधान देश है आज पूरे विश्व की खाद्यान्न की जरूरतों को पूरा करने हेतु किसान एवं मजदूर वर्ग अपने जान को जोखिम में डालकर गर्मी बरसात आज मुसीबतों एवं अभाव को सहकर कड़ी मेहनत से कृष कार्य कर रहा है एवं अपने पसीने से सोना पैदा कर रहा है ताकि लोगों को खाने हेतु पर्याप्त अनाज पैदा हो सके नहीं तो लोगों को भूखों मरने की नौबत आ जाएगी किसान साथ ही साथ गौ माता को पालता है पूछता है सेवा करता है उसके अमृत रूपी दूध से सब का भरण पोषण कर सीमित संसाधनों में स्वस्थ रहता है मस्त रहता है सुखी रहता है निरोग रहता है और वह यह संदेश भी देता है कि गौ माता की सेवा जो वैज्ञानिक रूप से भी तार्किक हो चुकी है कितनी महत्वपूर्ण है इसके दूध के सेवन से आदमी स्वस्थ सुखी रहता है उनकी महत्वपूर्ण को पूर्ण एहसास हो चुका है हम सबका सरकार के साथ-साथ भी यह कर्तव्य है कि जीवन दाता अन्नदाता किसानों को जहां तक हो सके मदद करें जो जिस रूप में है उसी रूप में मदद करें जितना सामर्थ है उतना मदद करें सरकारों को चाहिए की उनको उनकी जरूरतों की चीजें चिकित्सा दवाई शिक्षा आवास यात्रा कानूनी मदद खाद्यान्न अन्य सभी जीवन उपयोगी चीजों की व्यवस्था करें क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है विश्व की आत्मा है किसान जिनमें परमात्मा का वास होता है पृथ्वी के प्रत्यक्ष देवता हैं किसान भूमि पुत्र हैं प्रकृति के रखवाले हैं वह सीमित संसाधनों में भी स्वस्थ है मस्त है वह जनता का जगत का पालनहार है भारत गांव का देश है और किसान गांव की आत्मा है यहीं से आधारभूत चीजों की पूर्ति होती है हमारे नवयुवक भौतिक चीजों से आकर्षित होकर अपने गांव को छोड़कर शहर के प्रदूषित भीड़-भाड़ जगहों पर भाग रहे हैं चकाचौंध को अपना रहे हैं जो बिल्कुल ठीक नहीं है उन सबको चाहिए कि गांव की ओर लौटे अपने खेतों को तरह से हमारे और प्रकृति के सानिध्य में रहकर अपने आपको स्वस्थ रखे निरोग रखें सुखी रहे तभी सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत् के महा सूत्र का परिपालन पूर्णरूपेण हो सके स्वामी विवेकानंद के इस महा सूत्र को अपनाएं वेदों की ओर लौटें मतलब जो हमारी मूल आत्मा है उसको अपनाएं और सुखी रहे जय हिंद
अन्नदाता किसानों की मुकदमों की पैरवी निशुल्क कर सम्मानित कर किसान रत्न से विभूषित करेंगे अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता दिवस संघर्ष परिषद के अध्यक्ष राजकुमार सिंह तिवारी ने कहा है कि वह अन्नदाता पीड़ित किसान मजदूर बंधुओं के मुकदमों की पैरवी निशुल्क करेंगे