जनपद पंचायत रीवा में पदस्थ लेखापाल रामचंद्र पांडेय की तानाशाही चरम सीमा पर
रीवा जनपद पंचायत के कर्मचारी इस समय चर्चाओं का विषय बने हुए हैं। चाहे पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रदीप दुबे हो या फिर लेखापाल राम चंद्र पांडेय। गुप्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदीप दुबे का स्थानांतरण रीवा जनपद पंचायत से हो जाने के बाद भी सिविल लाइन रीवा में स्थित शासकीय बंगले में 12 सालो से अधिकार जमाए बैठे हैं। वहीं दूसरी ओर लेखापाल रामचंद्र पांडेय के ऊपर आरोप है की वह अपनी सर्विस बुक और नस्ती में छेड़छाड़ करके रीवा जनपद में नौकरी कर रहे हैं।
वर्तमान रीवा जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हरीश चंद्र द्विवेदी के द्वारा बारंबार मौखिक और लिखित रूप में राम चंद्र पांडे से उनकी सर्विस बुक और नस्ती प्रस्तुत करने को कहा गया मगर रामचंद्र पांडे के द्वारा अपनी सर्विस बुक और नस्ती प्रस्तुत करने में आनाकानी की जा रही है। सक्षम अधिकारी के समक्ष सर्विस बुक प्रस्तुत ना करने की वजह से लेखापाल रामचंद्र पांडे की वेतन वृद्धि रीवा जनपद पंचायत से रोक दी गई थी। उसी दौरान कार्यालय जिला पंचायत रीवा के द्वारा रामचंद्र पांडेय का स्थानांतरण रीवा जनपद पंचायत से त्योथर जनपद पंचायत के लिए किया गया। रीवा जनपद पंचायत सीईओ हरिश्चंद्र द्विवेदी के द्वारा कि गई इस जांच पड़ताल से बौखलाए उनके विरोधी तथा कुछ कांग्रेस के राज नेताओ के द्वारा पूरे रीवा जिले में केवल सीईओ हरिश्चंद्र द्विवेदी का स्थानांतरण करवा दिया गया और रीवा जनपद पंचायत कि गद्दी फिर एक बार प्रदीप दुबे के हाथ में आ गई। रीवा जनपद पंचायत का सीईओ बनते ही प्रदीप दुबे ने तत्काल रामचंद्र पांडेय का 3 माह का रुका हुए वेतन प्रदान किया उसी दौरान रामचंद्र पांडेय ने जबलपुर हाई कोर्ट में अपील कर अपना स्थानांतरण रीवा जनपद से रुकवा लिया। फिर संयोग बस सत्य की राह पर चल रहे वर्तमान रीवा जनपद सीईओ हरिश्चंद्र द्विवेदी 1 माह के अंदर ही वापस रीवा जनपद पंचायत के सीईओ बन गए हैं। अब एक बार पुनः रामचंद्र पांडेय को अपनी सर्विस बुक और नस्ती प्रस्तुत करने को कहा गया है। अब देखना यह है कि इस बार रामचंद्र पांडेय के द्वारा अपनी सर्विस बुक और नस्ती अपने सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की जाती है या नहीं