प्रदीप दुबे ही निकले सबसे लंबे समय तक कार्यकाल संभालने वाले मुख्य कार्यपालन अधिकारी।
जनपद पंचायत रीवा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर सबसे अधिक समय 8 वर्ष 6 माह 26 दिन तक प्रदीप दुबे ने कुर्सी संभाली और प्रदीप दुबे के कार्यकाल(2009से वर्ष 2014 और 2014 से वर्ष 2019 के वित्तीय वर्षों में) में ही ग्राम पंचायतों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार गबन घोटालों का खेल खेला गया।आपको बता दें रीवा जनपद में अब तक कुल 15 मुख्य कार्यपालन अधिकारियों ने अपनी सेवाएं दी जिसमें दो अनुविभागीय अधिकारी राजीव दुबे और आर.पी.गौतम शामिल है। जिनमे आर.पी.गौतम पांच बार व प्रदीप दुबे ने तीन बार जनपद पंचायत रीवा में स्थानांतरित होकर मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दी। आज दिनांक तक कुल 15 मुख्य कार्यपालन अधिकारियों का 21 बार स्थानांतरण या पुनरस्थनांतरण रीवा जनपद पंचायत में हो चुका है जिनमे सबसे ज्यादा समय लगभग 8 वर्ष 6 माह 26 दिन तक प्रदीप दुबे और सबसे कम समय 20 दिन तक के लिए अनुविभागीय अधिकारी आर.पी.देवगन ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत रीवा के रूप में कमान संभाली।
आपको बता दें दिनांक 17/08/1994 से लेकर 02/05/2020 तक के जनपद पंचायत रीवा के कार्यकाल में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में सबसे ज्यादा समय तक प्रदीप दुबे बने रहे और जनपद पंचायत रीवा अंतर्गत 92 ग्राम पंचायतों को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाते रहे।और जब संकट की घड़ी कोरोना संक्रमण के दौर में प्रदीप दुबे का स्थानांतरण जनपद पंचायत रीवा से जनपद पंचायत त्योथर के लिए हुआ है तो वह वहां जाना ही नहीं चाहते और रीवा में ही रह कर पुनः रीवा जनपद पंचायत की कुर्सी प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, फिर चाहे वह जायज हो या नाजायज। जनपद पंचायत त्योथर के ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में कोरोना के संक्रमित मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है लेकिन प्रदीप दुबे जनपद पंचायत त्योथर अंतर्गत संक्रमित व्यक्तियों को बचाने का प्रयास करने की बजाय रीवा जनपद की कुर्सी हथियानें का निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
हमारे संवाददाता द्वारा जनपद पंचायत त्योथर के प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी संजय सिंह(वीडीयो) से जानकारी ली गई जिसमें जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि प्रदीप दुबे द्वारा आज दिनांक तक जनपद पंचायत त्योथर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का पदभार नहीं संभाला गया है। कारण जानने के लिए रीवा स्थापना शाखा के लेखपाल टी.डी.पांडे से जानकारी मांगी गई जिसमें जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रदीप दुबे का स्थानांतरण त्योथर रीवा के लिए हुआ है,प्रदीप दुबे की नौटंकी लगातार इस तरह रही आई है एक बार और ट्रांसफर 08/03/2019 को रीवा जनपद पंचायत से बहुरीबंद कटनी के लिए हुआ था यहां से रिलीव भी हो गए थे लेकिन बहुरीबंद कटनी ज्वाइन नहीं किए मेडिकल ले लिए थे। मेडिकल के मामले में पूछे जाने पर टी. पी.पांडेय द्वारा बताया गया कि मेडिकल एक बार में 20 दिन का ही मिलता है लेकिन ऐसी कोई जानकारी या आवेदन प्रदीप दुबे द्वारा रीवा स्थापना शाखा में नहीं दी गई है। जॉइनिंग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि हमें सिर्फ इतना पता है कि प्रदीप दुबे को त्योथर जिला रीवा के लिए रिलीव कर दिया हूं ज्वाइन किए अथवा नहीं किए यह मालूम नहीं है। हमें उनके जॉइन की कोई जानकारी नहीं है यदि डाक से भी जानकारी प्रदीप दुबे द्वारा दी गई हो तो आज तक मुझे नहीं मिली है। प्रदीप दुबे के इस कृत्य से सभी आश्चर्यचकित है क्योंकि दिनांक 11/03/2020 को क्षेत्रीय समन्वयक एस.आर.एल.एम.से मुख्य कार्यपालन अधिकारी रीवा के लिए स्थानांतरण होते ही महज 24 घंटे में प्रदीप दुबे ने पदभार ग्रहण कर लिया था। बड़ा सवाल यह है कि प्रदीप दुबे आखिर क्यों जनपद पंचायत त्योथर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का पद नहीं संभालना चाहते? क्या उन्हें रीवा जनपद पंचायत में लेखपाल रामचंद्र पांडेय और भ्रष्ट सरपंच/सचिव के साथ मिलकर पूर्व में किए गए अपने भ्रष्टाचार घोटालों की पोल खुलने का डर तो नहीं? क्या वह पुनः रीवा जनपद पंचायत की कुर्सी पाने के लिए एक बार फिर भरपूर प्रयास में तो नहीं? जिससे अपने कार्यकाल में किए गए गबन घोटालों के सबूत मिटा सकें या उनपर पर्दा डाल सकें। आखिर क्या वजह है कि प्रदीप दुबे मध्य प्रदेश को कुल 313 जनपद पंचायत के 54903 ग्रामों में से सिर्फ रीवा जनपद के 92 ग्रामों की चिंता ज्यादा है।देखना यह है कि क्या प्रदीप दुबे मध्य प्रदेश की 313 जनपद पंचायतों में से रीवा जनपद पंचायत को छोड़कर अन्य 312 जनपद पंचायतों में अपनी सेवा देंगे या एक बार पुनः जनपद पंचायत रीवा की कुर्सी पाने के लिए जद्दोजहद करेंगे या फिर अंततः मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद से इस्तीफा देकर सेवानिवृत्ति ले लेंगे? एक बड़ा सवाल मध्य प्रदेश के शासन प्रशासन पर भी उठता है की क्या प्रदीप दुबे के आगे प्रशासन इतना बौना या झुका हुआ है की प्रदीप दुबे की मनमानियों को रोक नहीं सकता या आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता? उपर्युक्त सभी सवालों का शायद जवाब है की उच्चायोग द्वारा दल का गठन कर प्रदीप दुबे के ऊपर लगे समस्त आरोपों की जांच करवाएं और दोषी पाए जाने पर सिविल जेल की कार्यवाही करें अथवा आदेशित स्थानांतरण का पालन करवाते हुए त्योथर जनपद का प्रभार संभालने हेतु आदेशित करें या मनमानी करने के लिए प्रदीप दुबे को खुला छोड़ दें। क्योंकि जिस तरह लगभग 12 वर्षों से प्रदीप दुबे सिविल लाइन स्थित शासकीय बंगले में लगातार अपना आधिपत्य जमाए हुए हैं और प्रशासन आज तक उनका कुछ नहीं कर सका उसी तरह प्रदीप दुबे मनचाही जनपद में ही ज्वाइन करेंगे और शासन-प्रशासन मूकदर्शक बन सिर्फ तमाशा देखता रहेगा।