प्रशासनिक असफलता और निकम्मेपन का नतीज़ा है अवैध कार्य और वन अपराध*

*MP breaking- अवैध शिकार // जंगली शिकारी शेषमणि पटेल का अब क्या करेगा जंगल विभाग? करंट लगाकर 2 जंगली सुअर का इटहा में किया गया था शिकार, शेषमणि पटेल के साथ अशोक पटेल और तरुण पटेल पिता रुक्मणि पटेल भी शिकार में थे सम्मिलित, जंगल विभाग अब तक आरोपियों का नहीं निकाल पाया लोकेशन*


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दिनांक 29 सितंबर 2020, स्थान - रीवा मप्र।


 


 


     पिछले दिनों रीवा जिले के सिरमौर वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाले लालगांव उपवन परिक्षेत्र के ग्राम पंचायत कैथा में ग्राम इटहा एवं कैथा के कुछ शिकारियों के द्वारा करंट लगा कर दो जंगली सूअर का शिकार किया गया था। जिस पर उप वनमंडल अधिकारी ऋषि कुमार मिश्रा के निर्देश पर सहायक वन परिक्षेत्र अधिकारी लालगांव एवं उनकी टीम के द्वारा ग्राम कैथा केवट बस्ती में छापामार कार्यवाही कर रामविलास केवट पिता श्रीनाथ केवट को रंगे हाथों सूअर की मांस और काटने वाले औजार के साथ गिरफ्तार किया गया था। इसी बीच कुछ भागते हुए बूचड़ा केवट उर्फ मनीष केवट नामक लड़के से टिफिन में सूअर का मांस भी बरामद किया गया था जिसके बाद बूचड़ा केवट फरार हो गया।


 


 


     *इनके भी नाम आये सामने, गाड़ी और बाइक में ढोया गया सुअर का मांस*


 


 


     इस बीच जिन अन्य मांसभक्षीयों के नाम सामने आए हैं उनमें संजय संजू सिंह, तरुण सिंह, दद्दू, राजबली, भैया राजकरण, छोटू, अंकुल, विपिन आदि लोगों ने जंगली सुअर के लजीज व्यंजन का तुफ्त उठाया जिनके नाम सम्मिलित हैं। माल ढोने का कार्य कैथा, इटहा, लौरी, बड़ोखर, सेदहा, बैकुंठपुर तेंदुन तक हुआ। 


 


     फिलहाल कार्यवाही के नाम पर तो जंगल विभाग ने मात्र कैथा केवट बस्ती से रामविलास केवट पिता श्रीनाथ केवट को ही रंगेहाथों गिरफ्तार किया है और अन्य आरोपियों पर अब तक कोई कार्यवाही नही की गई है।


 


 


   *मामले का मुख्य आरोपी शेषमणि पटेल और दावत में सम्मिलित अशोक पटेल एवं रुकमणी पटेल को बताया जा रहा फरार*


 


 


   पूछताछ के दौरान पकड़े गए आरोपी रामविलास केवट के द्वारा बताया गया कि वह इटहा निवासी शेषमणि पटेल के खेत में कार्य करता था और जंगली सूअर को मारने के लिए तार की बाड़ी में करंट शेषमणि पटेल के द्वारा ही लगाया जाता रहा है। सूअर को मारने के बाद एक सूअर को शेषमणि पटेल पिता भगवानदीन पटेल, अशोक पटेल एवं रुकमणी पटेल के द्वारा इटहा ग्राम में ही पकाकर खाया गया जबकि दूसरे सूअर को अगले दिन रामविलास केवट पिता श्रीनाथ केवट को दे दिया गया। कैथा ग्राम में अपने निवास पर मृत सूअर को लाने के बाद रामविलास केवट ने उसे औजार से काटा और अपने आसपास के केवट बस्ती के लोगों को बांटा एवं साथ में बड़ोखर, सेदहा, लोरी और यहां तक कि बैकुंठपुर के तेंदुन ग्राम तक के लोगों को सूअर की कटी हुई मांस को 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से सप्लाई किया।


 


 


    *कैथा में जंगली सुअर के मांस की सजी थी मंडी, पूरे मामले का इस प्रकार से हुआ था भंडाफोड़*


 


 


  ग्रामीणों के द्वारा बताया गया कि जब सूअर के मांस की सप्लाई के लिए कैथा केवट बस्ती में मंडी लगा दी गई और दूर-दूर से लोग मोटरसाइकिल में जंगली सूअर की मांस खरीदने के लिए कैथा की तरफ उमड़ पड़े तब स्वाभाविक तौर पर लोग एक दूसरे से पूछने लगे कि गांव में जंगली सूअर की मांस कहां बिक रही है। जब यह जानकारी चर्चा ए आम हो गई तो गांव और आसपास के सभी लोगों को इस बात का पता चल गया। जानकारी मिलने के बाद आनन-फानन में जानकारी जंगल विभाग रीवा को दे दी गई जिसके बाद जिला रीवा के उप वनमंडल अधिकारी ऋषि कुमार मिश्रा के मार्गदर्शन में सिरमौर वन परिक्षेत्र के रेंजर के द्वारा टीम गठित कर छापेमार कार्यवाही करवा दी गई और आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ लिया गया।


 


   


    *जहां महुआ का दारू वहां बकरे सूअर मुर्गे की मांस तो बहुत ही जरूरी है?*


 


 


   जंगली सूअर को करंट लगाकर मारने का यह कोई नया वाकया नहीं है। यदि देखा जाए तो पिछले कई वर्षों से लालगांव उपवन परीक्षेत्र से जुड़े हुए कई वन क्षेत्र के गांव जैसे कठमना, इटहा, अगडाल, कैथा, सेदहा, बड़ियोर, लोटनी, पनगड़ी, कांकर, पताई, भौखरी, बांस आदि लगे ग्रामों में जंगली सूअर, खरगोश, नीलगाय और अन्य जंगली जानवरों का शिकार किया जाता रहा है। पनगड़ी बीट के जंगल से लगे हुए कठमना एवं लोटनी ग्राम में कुछ समुदाय विशेष के लोग बंदूक लेकर लगभग हर दूसरे तीसरे दिन सटे हुए जंगल में जंगली जानवरों का शिकार रात में करने जाते हैं और उनकी गोश्त पकाते हैं। खैर यदि सीआईडी लगाई जाए तो यह जानकारी तो कोई भी क्षेत्र का व्यक्ति दे सकता है।


 


 


   *शिकार के साथ मनाया जाता है जश्न, दारू के अड्डों पर गुजरती हैं रंगीन रातें*


 


     जहां तक सवाल कैथा और इटहा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है तो यहां नजदीकी ग्राम सोरहवा में दशकों से जायसवाल बस्ती में देसी महुआ की शराब बनाई जाती है जिसमें अमृतलाल जायसवाल, गोविंद जयसवाल आदि लोग सम्मिलित हैं और यह इनका खैर पुस्तैनी धंधा भी है। इसी प्रकार कैथा में रामविलास केवट, अनिरुद्ध केवट आदि लोगों के द्वारा कच्ची महुआ की शराब बनाई जाती है। वहीं इटहा ग्राम में शेषमणि पटेल, अशोक पटेल, रुकमणी पटेल आदि लोगों के द्वारा देशी एवं विदेशी मदिरा का अवैध व्यापार किया जाता है। इस प्रकार जाहिर है कि जहां देसी और विदेशी शराब के अवैध धंधे और बनाने का कार्य किया जाता है वहां इसको पीने वाले भी बहुतायत में ही होंगे। तो स्वाभाविक है ऐसे में शराब पीने के बाद मुर्गा मछली सूअर की मांस तो होना बहुत ही आवश्यक हो जाता है। ऐसे में भला जंगली सूअर का शिकार करने वाले शिकारी पैदा हों तो इसमें कोई अतिशयोक्ति वाली बात नहीं है। 


 


   *प्रशासनिक असफलता और निकम्मेपन का नतीज़ा है अवैध कार्य और वन अपराध*


 


   अब यह प्रशासन का कार्य है मप्र का पुलिस विभाग और वन विभाग इस बात पर गौर करें कि आखिर यह जो शराब दारु का अवैध धंधा चल रहा है और साथ में वन्य प्राणियों का अवैध शिकार हो रहा है उसके विषय में वह क्या कार्यवाही करना चाहते हैं? वन विभाग और पुलिस विभाग कार्यवाही करना चाहता है अथवा इसको बढ़ावा देना चाहता है यह उनकी मर्जी पर निर्भर है।


 


  *क्या कहना है जिम्मेदारों का*


 


   इस बीच जब रीवा जिले के उप वनमंडल अधिकारी ऋषि कुमार मिश्रा से बात की गई तो उनके द्वारा बताया गया की रंगेहाथों पकड़े गए आरोपी रामविलास केवट पिता श्रीनाथ केवट को गिरफ्तार कर चालान पेश कर सेंट्रल जेल भेज दिया गया है और उसके बयान के आधार पर एवं अन्य जो भी नाम सामने आए हैं उन सभी आरोपियों की तलाश जारी है। - ऋषि कुमार मिश्रा एसडीओ फारेस्ट रीवा।


 


*संलग्न* - कृपया संलग्न फ़ोटो देखने का कष्ट करें


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