राजा बोला रात है
रानी बोली रात है
मंत्री बोला रात है
संत्री बोला रात है
सोचो?? इस पर सुनने वालों !
क्योंकि? ये सुबह सुबह की बात है ।
सच्चाई की नही है चिंता ,
सबको अपना भान है ।
प्रजातंत्र में अक्ल नही है ,
बहुमत का सम्मान है ।
जनता अब तो रोयेगी ,
अपने ही करतूतों पर ।
मूर्खों को सरताज बनाया ,
अपने ही बलबूतों पर ।
मूर्ख राजा चुना था तुमने ,
मंत्री भी गद्दार चुना ।
रानी की तो बात छोड़ दो ,
संत्री भी गद्दार चुना ।
अब क्यों रोना रोते हो ?
क्यों बोझ मूर्ख का ढोते हो ?
उठ खड़े हो , बढ़ा कदम
अपनी गलती का कर दमन ।
अगर नही किया तो पछतायेगा ,
किया तो इतिहास दोहराएगा ।
ऐसे राजा का क्या करना ?
जो दिन को रात बताता हो ,
ऐसा मंत्री भी मूरख है ।
जो हाँ में हाँ मिलाता हो ।
कवि:- शिवेंद्र मिश्रा ' यश '
गुरुकुल रीवा (मप्र)