पेंशन, खाद्य और बिजली की समस्याओं के लिए ग्रामीणों को मिला आश्वासन*

*MP//Rewa// आजादी के 74 साल बाद भी गांधी के ग्राम स्वराज का सपना अधूरा - एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी, 02 अक्टूबर विशेष - गांधी शास्त्री जयंती पर आयोजित हुआ सोशल ऑडिट जनसुनवाई, गंगेव की रक्सा माजन पंचायत में आयोजित हुआ कार्यक्रम, सैकड़ों ग्रामीणों ने बढ़चढ़कर समस्या गिनाई, जय जवान, जय मजदूर, जय किसान के लगे जोरदार नारे*


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दिनांक 2 अक्टूबर 2020, स्थान रीवा मध्य प्रदेश


 


     आज भारत को कथित स्वतंत्रता प्राप्ति के 74 वर्ष का समय व्यतीत हो चुका है जिसमें जिन महापुरुषों ने इस स्वतंत्रता प्राप्ति में अपना अभूतपूर्व और अमूल्य योगदान दिया उनमें महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री का एक महत्वपूर्ण स्थान है। पर क्या इस कथित स्वतंत्रता प्राप्ति के 74 वर्ष बाद भारत वास्तव में अपने मूल स्वरूप में वैचारिक, मानसिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता प्राप्त कर पाया है? यह यक्ष्य प्रश्न निरंतर बुद्धिजीवियों से लेकर आमजन के मन में कौंधता रहता है और बार-बार इस प्रश्न के जवाब के लिए हमें निचले स्तर पर पीड़ित वर्ग मजदूर, किसान एवं शोषित वर्ग की तरफ आकर सोचने को मजबूर होना पड़ता है। जब बात स्वतंत्रता की आती है तो सबसे पहले ग्रामीण अंचल की तरफ ही रुख करते हैं और देखते हैं कि आज 74 वर्ष की कथित स्वतंत्रता के उपरांत भी महात्मा गांधी जैसे महान पुरुषों के द्वारा किया गया त्याग और बलिदान और उनकी ग्राम स्वराज की अवधारणा आज तक मात्र एक अवधारणा ही बनकर रह गई है और कहीं भी भौतिक धरातल पर देखने को नहीं मिलती है। सरकारें तो बड़े-बड़े दावे करती हैं। बड़ी-बड़ी योजनाएं ला रही हैं लेकिन मानसिक गुलामी और भ्रष्टाचार की परतंत्रता में जकड़ा हुआ भारतीय प्रशासनिक और सामाजिक व्यवस्था आज इन योजनाओं में बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न कर रही है।


 


   *महात्मा गांधी नरेगा योजना का खेल मात्र कागजों तक*


 


   2 अक्टूबर गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर जिला रीवा के गंगेव ब्लाक में रक्सा माजन ग्राम पंचायत में आयोजित आरटीआई की धारा 4 के तहत सोशल ऑडिट और जनसुनवाई के कार्यक्रम में उपस्थित सैकड़ों ग्रामीणों के बीच सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी को आमंत्रित किया गया। जिस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री द्विवेदी ने कहा कि सरकार की मंशा के अनुरूप ज्यादातर योजनाएं जो ग्रामीण अंचलों में संचालित की जा रही है उनमें व्यापक अनियमितता और भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है और गांधी जी का ग्राम स्वराज का सपना आज 74 वर्ष बाद भी साकार नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह के तौर पर चर्चा करते हुए एक्टिविस्ट ने बताया की बढ़ता प्रशासनिक भ्रष्टाचार एवं जन जागरूकता की कमी इसमें मुख्य बाधा है। मनरेगा योजना ग्रामीण जनों और मजदूरों के हितार्थ लागू की गई जिसके तहत ग्रामीण किसानों, मजदूरों और वहां पर निवासरत लोगों को अपने ही ग्राम पंचायत में बिना किसी भेदभाव के बिना ज्यादा दूर गए हुए आसानी से कार्य मिल जाए और गांव की जनता, मजदूरों, किसानों को अपने गांव और परिवार को छोड़कर बाहर पलायन न करना पड़े। लेकिन आज आलम यह है सरकार की इतनी महत्वपूर्ण योजना मात्र भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही है। इसके पीछे की मुख्य बाधा सरकार द्वारा न्यूनतम 169 रुपये की मजदूरी निर्धारित करना है जिस पर कोई भी मजदूर आज गांव में काम नहीं करना चाहता है। इसके अतिरिक्त दूसरी समस्या सरकारी योजनाओं में मजदूरों को समय पर पैसा पेमेंट न किया जाना है। द्विवेदी ने कहा कि मजदूर की जिंदगी इस प्रकार से निर्धारित होती है कि उसे रोज कार्य करना होता है और रोज उसको पेमेंट चाहिए होती है लेकिन बेघर और बिना जमीन के मजदूरों के लिए यदि सरकारी योजना मनरेगा के तहत मजदूरी 6 माह या साल भर बाद अथवा इससे भी अधिक समय बाद पेमेंट की जाती है तो सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि ऐसे मजदूर सरकारी कार्य नहीं करना चाहते। आज सरकार को इस बात की आवश्यकता है कि कोरोनावायरस लॉकडाउन की स्थिति में मजदूरों की मजदूरी को डबल किया जाए जिससे मजदूर अपने ही पंचायत में कार्य कर सकें एवं साथ में मजदूरी का भुगतान अनिवार्यता के साथ साप्ताहिक किया जाए जिससे उन्हें ज्यादा समय तक पैसा प्राप्ति के लिए इंतजार न करना पड़े।


 


   *मजदूरों की अशिक्षा का फायदा उठा रहे भ्रष्ट्राचारी सरपंच और अधिकारी*


 


   ग्राम स्वराज की अवधारणा में प्रमुख रोल सरपंच का होता है जिसमें सरपंच को अपनी ग्राम पंचायत में मजदूरों को चिन्हित कर उन्हें कार्य में लगाना और कार्य के लिए प्रेरित करना और समय पर उनका भुगतान करवाना है परंतु भारत की ढाई लाख से अधिक पंचायतों में से ज्यादातर पंचायतों में सरपंच मात्र अपना जेब भरने और व्यक्तिगत विकास के लिए प्रयास करते हैं जिसका नतीजा यह होता है कि फर्जी अकाउंट खुलवाकर मनरेगा की मजदूरी अकाउंट्स में डाली जाती है जिसका कि मजदूरों को जानकारी भी नहीं रहती है अथवा जिन मजदूरों को जानकारी रहती है वह मजदूर मात्र सरपंच सचिव के अपने फेवर के होते हैं जो तत्काल पैसा निकाल कर और कुछ पैसा रख कर सरपंच को दे देते हैं। यहां तक की ऐसी भी पंचायतें हैं जहां मजदूरों के नाम पर फर्जी खाता खोल कर एटीएम कार्ड सरपंच सचिव अथवा उनके दलाल अपने पास रख लेते हैं जिसका कि मजदूरों को भनक तक नहीं पहुंच पाती है। वास्तव में देखा जाए तो मध्यप्रदेश के परिपेक्ष में इस प्रकार के घोटाले सबसे अधिक देखने को मिले हैं। जबसे आधार बेस्ड जनधन खाते खुलना प्रारंभ हुए हैं तो कई बार ऐसा होता है कि सरपंच कैंप लगाकर आधार फीडिंग के नाम पर किसी कियोस्क संचालक को बैठा देते हैं और उस के माध्यम से फर्जी खाते खुलवा देते हैं जबकि मजदूर को इसका पता भी नहीं चल पाता क्योंकि मजदूर को ऐसा लगता है कि उसकी आधार फीडिंग हो रही है अथवा सरपंच किसी योजना में नाम जुड़वा रहा है लेकिन सरपंच की मंशा यह होती है कि उसका फर्जी खाता खुलवा दिया जाए और कियोस्क संचालकों की मदद से एटीएम कार्ड और उनके पिन अपने पास रख लिए जाते हैं। फिर 5 साल पूरे भ्रष्टाचार का खेल चलता रहता है जिसमें मनरेगा की मजदूरी उन्ही फर्जी खोले गए खातों में आती रहती हैं और सरपंच अथवा उनके दलाल एटीएम कार्ड के माध्यम से पैसे की निकासी करते रहते हैं।


 


   *रक्सा माजन में ग्रामीणों ने गिनाई कई समस्याएं*


 


   रक्सा माजन ग्राम पंचायत में 2 अक्टूबर को गांधी और लालबहादुर शास्त्री जयंती के अवसर पर आयोजित सोशल ऑडिट और जन सुनवाई के दौरान ग्रामीणों


 


रवि शंकर मिश्र ,दिलीप शर्मा, रामभिलाश केवट, रामलौटन कुशवाहा, प्रभात शर्मा,मल्लू कोल, राजेंद्र पांडेय, उमेश कुशवाहा, कलावती पटेल,सुधा कोल, गीता पटेल,श्यामकली कोल, विजय पटेल,झलू काशी, बुद्धसेन कोल आदि ने कई समस्याएं बताई जिसमें पीसीसी सड़क निर्माण, कूप निर्माण में अनियमितता, नाली निर्माण का पता नहीं, ग्रेवल रोड में अनियमितता, राशन की दुकान, पेंशन की समस्या, स्कूल की समस्या, पात्रता पर्ची का जारी न होना, पात्रता पर्ची के बावजूद भी लोगों को खाद्यान्न न मिलना, शौचालय की राशि हितग्राहियों को न दिया जाना, प्रधानमंत्री आवास की राशि पूरी तरह न मिल पाना, ग्राम पंचायत भवन का अधूरा पड़ा होना, पुलिया निर्माण में अनियमितता, खेत तालाब, खेत सड़क एवं पशु शेड निर्माण में अनियमितता आदि कई ऐसे मुद्दे उपस्थित ग्रामीणों के द्वारा बताए गए और कार्यवाही की मांग की गई।


 


 


  *ग्रामीणों का आरोप भरत तिवारी पत्नी के स्थान पर बन बैठे सचिव*


 


 


 ग्रामीणों का यह भी कहना था कि उनकी सचिव कमला तिवारी मौके पर कभी उपस्थित नहीं रहती है और उनके स्थान पर उनके नौकरीपेशा पति भरत तिवारी फर्जी हस्ताक्षर लगाकर कमला तिवारी के नाम पर कार्य कर रहे हैं जिस पर ग्रामीणों ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कार्यवाही की मांग की है। बताया गया कि भरत तिवारी कॉलरी में नौकरी भी करते हैं और बस कभी कभार ही पंचायत में आते हैं। जिससे ग्रामीणों को हर छोटे से छोटे कार्य के लिए भटकना पड़ता है। बताया गया कि रोजगार सहायक संजीव कुशवाहा भी ग्रामीणों की मदद नहीं करता जिसकी वजह से लोगों को पेंशन, खाद्यान पात्रता पर्ची और समग्र आईडी सुधार तक के लिए दर दर भटकना पड़ता है।


 


 


   *दलित सरपंच मात्र नाम मात्र का, नरेंद्र सिंह चला रहे सरपंची*


 


 


   सोशल ऑडिट और जन सुनवाई के दौरान उपस्थित सैकड़ों ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि उनके ग्राम पंचायत रक्सा माजन का सरपंच वितानी कोल दलित वर्ग का है जो कि पढ़ा लिखा नहीं है एवं सरपंच किसी भी पंचायती कार्य में कोई रुचि नहीं रखते हैं। बताया गया कि सरपंच के स्थान पर ग्राम पंचायत रक्सा माजन के ही नरेंद्र सिंह नामक व्यक्ति के द्वारा सरपंची चलाई जा रही है। जिससे मात्र उन लोगों का कार्य होता है जो नरेंद्र सिंह के फेवर के हैं और उन लोगों की सुनवाई नहीं होती है जो उनका विरोध रखते हैं। इस प्रकार पूरी पंचायत में ही मात्र बाहुबलियों का बोलबाला है जिसकी वजह से आमजन को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है और भ्रष्टाचार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। लोगों ने इस पर कार्यवाही की माग की है। इसी प्रकार सहायक सचिव संजीव कुसवाह पर भी मनमानी का आरोप ग्रामीणों ने लगाया है।


 


 


  *रक्सा माजन ग्राम पंचायत में लगभग 75 लाख का भ्रष्टाचार का आरोप*


 


 


   गांधी एवं शास्त्री जयंती के अवसर पर आयोजित सोशल ऑडिट और जन सुनवाई के दौरान ग्राम पंचायत रक्सा माजन के उपस्थित ग्रामीणों के द्वारा जिस प्रकार से सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 4 के अंतर्गत पुख्ता एवं प्रमाणिक तरीके से पंचायत दर्पण, ग्राम स्वराज एवं मनरेगा के वेब पोर्टल में साझा की गई जानकारी एवं अन्य आरटीआई से प्राप्त जानकारी के आधार पर कार्यों का अवलोकन करवाया गया उससे साफ जाहिर हो रहा था कि यदि ग्राम पंचायत के कार्यों का सही प्रकार से जांच हो एवं मूल्यांकन किया जाए तो निश्चित तौर पर लगभग 75 लाख से अधिक का भ्रष्टाचार परिलक्षित होने की संभावना है। यद्यपि उपस्थित ग्रामीणों ने अपने वीडियो इंटरव्यू में तो सीधे सीधे पंचायत पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।


 


 


  *पीएम आवास की मात्र 1 लाख 20 हज़ार रुपये का ही भुगतान*


 


 


   पीएम आवास योजना के उपस्थित दर्जनों हितग्राहियों ने अपनी समस्याएं बताते हुए कहा कि सरकार के द्वारा पीएम आवास के नाम पर ग्रामीण स्तर पर 1 लाख 50 हज़ार की राशि का आवंटन बताया गया है लेकिन जिन जिन हितग्राहियों को अब तक राशि मिली है उसमे मात्र उन्हें 1 लाख 20 हज़ार की राशि दी गई है। इस प्रकार से 30 हज़ार राशि कम मिलने के आरोप लगाए गए हैं। और यह राशि कहां गई इसकी जांच के लिए हितग्राहियों ने मांग की है।


 


 


  *शौचालय की 12 हज़ार रुपये राशि निकल गई पर हितग्राहियों को नहीं मिली*


 


 


   ग्राम पंचायत रक्सा माजन जनपद पंचायत गंगेव ममें लगभग पचासों ऐसे भी मामले सामने आए जिनके द्वारा यह बताया गया कि उनके घरों में शौचालय बनवाने के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली 12 हज़ार रुपये की प्रोत्साहन राशि उन्हें आज दिनांक तक प्राप्त नहीं हो पाई है जबकि वर्षों पहले उनका शौचालय का निर्माण उनके स्वयं के द्वारा करवा दिया गया है। कई ग्रामीणों ने यह भी बताया कि उनके घरों में शौचालय भी नही बनाये गए हैं। इसके लिए ग्रामीणों ने सीधे सरपंच सचिव और पंचायत अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि सब की मिलीभगत से उनकी शौचालय की राशि का बंदरबांट कर लिया गया है और शासन की योजना का लाभ उन्हें नहीं दिया गया जिसकी जांच करवाए जाने की मांग की है।


 


 


   *पेंशन, खाद्य और बिजली की समस्याओं के लिए ग्रामीणों को मिला आश्वासन*


 


 


   इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने उपस्थित ग्रामीणजनों की समस्याओं पर गौर करने के बाद जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक प्रभारी सुभाष द्विवेदी से मोबाइल पर चर्चा की एवं ग्राम की समस्या को अवगत करवाया जिसमें हितग्राहियों को कोटेदार के द्वारा खाद्यान्न नहीं दिया जा रहा है एवं साथ में दर्जनों हितग्राहियों की पात्रता पर्ची न बने होने के कारण उन्हें सरकार की महत्वपूर्ण पीडीएस प्रणाली की योजना से वंचित होना पड़ रहा है। इसके विषय में प्रभारी खाद्य नियंत्रक सुभाष द्विवेदी द्वारा जल्द से जल्द समस्त हितग्राहियों की फीडिंग करवा कर पात्रता पर्ची जारी करने के आश्वासन दिए गए एवं साथ में जिन हितग्राहियों को पात्रता पर्ची जारी होने के बावजूद भी खाद्यान्न नहीं मिल रहा है उनकी सूची मंगवा कर तत्काल कोटेदार करुणा कुशवाहा पर कार्यवाही किए जाने की बात कही गई है।


 


 


   इस प्रकार सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्वारा उपस्थित ग्रामीणों में से पढ़े लिखे लोगों जिसमें रवि मिश्रा सम्मिलित हैं उन्हें बताया गया कि वह पेंशन और खाद्यान्न हितग्राहियों की सूची तत्काल बनवा लें जिसे संबंधित विभाग को देकर वंचित हितग्राहियों के नाम जुड़वाने के लिए रखा जा सके।


 


 


*संलग्न* - कृपया रक्सा माजन ग्राम पंचायत जनपद पंचायत गंगेव में 2 अक्टूबर गांधी एवं शास्त्री जयंती के उपलक्ष पर आयोजित सोशल ऑडिट और जन सुनवाई के दौरान उपस्थित ग्रामीणों की तस्वीर देखने का कष्ट करें।


 


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 *शिवानंद द्विवेदी सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता जिला रीवा मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर 9589152587*


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